जीतना है तो मेहनत करो | ब्रह्मचर्य का 29वां दिन

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जीतना है अगर आपको ब्रह्मचर्य पालन में तो मेहनत करनी पड़ेगी. आपको हर रोज़ उठकर अपने लक्ष्य के प्रति जीवन को समर्पित करना पड़ेगा तभी आप सही मायने में ब्रह्मचारी बन पाओगे.

आज ब्रह्मचर्य पालन का 29वां दिन है और आप अगर अभी तक टिके हुए हो तो ये बहुत ही शानदार बात है क्योंकि इतने दिनों तक ब्रहचर्य पालन पर बने रहना हर किसी की बात नहीं होती.

अब आपको अगर ध्यान देना है तो अपने लक्ष्य पर दो और अपने जीवन को उसी लक्ष्य पर समर्पित कर दो !!

अगर आपको हस्तमैथुन और पोर्न की लत छोड़ना है और आज जो ज़ूम मीटिंग होगी उसे ज्वाइन करना है तो ये कोर्स ज़रूर ज्वाइन कर लेना.

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जीतना है तो मेहनत करनी पड़ेगी !!

ज़िन्दगी में जीतने के लिए अपने मन को मारकर जो अनुशासन के साथ अपने लक्ष्य को पाने के लिए जो मेहनत करनी है अगर आप वो कर लेते हो तो आपके लिए फिर जीतना आसान हो जाता है. हर कोई अपने मन को नहीं मार पाता. कोई बुरी आदतों में फंसा हुआ है तो कोई आलस में, कोई लड़कियों के चक्कर में फंसा हुआ है तो कोई पोर्नोग्राफी के चक्कर में, ऐसे में अगर आप अपने मन को मार लेते हो और दिन रात सिर्फ अपने लक्ष्य के लिए मेहनत करते हो तो आपके लिए जीवन में जीतना आसान हो जाता है.

ब्रह्मचर्य में जीतना

देखो भाई, अगर आपको ब्रह्मचर्य पालन में जीतना है तो आपको उन 8 नियमों का पालन करना पड़ेगा जिस पर ब्रहचर्य टिका हुआ है. अगर आप इन 8 मैथुनो में फंसे रहोगे तो ब्रह्चारी नहीं बन पाओगे.

  1. स्मरण – किसी जगह पढ़े हुए, देखे हुए, सुने हुए या चित्र में देखे हुए स्त्री रूप का ध्यान, चिंतन या स्मरण करना.
  2. कीर्तन – स्त्रियों के रूप, गुण और अंगों की चर्चा करना अथवा इस विषय के गीत गाना तथा गन्दी बातें करना आदि.
  3. केलि – स्त्रियों के साथ खेलना अथवा उनके साथ अधिक बैठना उठना और मनोविनोद करना.
  4. प्रेक्षण – किसी स्त्री को नीच-दृष्टि से या छिपकर बार बार देखना या नीचतापूर्ण संकेत करना.
  5. गुप्त भाषण – स्त्रियों के पास बैठकर गुप्त बातें करना, शृंगार रस पूर्ण उपन्यास, कहानियाँ, नाटक आदि पढना या उनकी चर्चा करना, काम-चेष्टाएँ भरी हुयी बातें कहने- सुनने में निमग्न रहना.
  6. संकल्प – किसी अप्राप्य स्त्री की प्राप्ति के लिए दृढ़ होना या मन में उसे पाने के लिए निश्चय करना.
  7. अध्यवसाय – स्त्री सहवास में आनंद का अनुभव कर उसके पाने के लिए निश्चय करना.
  8. क्रिया-निष्पति – प्रत्यक्ष सम्भोग करके वीर्य स्खलित करना.

अगर आप इन 8 मैथुनो को त्याग सकते हो तो आपके लिए ब्रहचर्य पालन में सफल होना आसान हो जायेगा.

अंत में ,,

ज़िन्दगी और ब्रह्मचर्य दोनों में जितने के लिए मेहनत ज़रूरी है. जो इन्सान मेहनत नहीं करेगा वो या तो कमजोर रह जायेगा या फिर गरीब रह जायेगा. इसलिए मेहनत करो और ज़िन्दगी को बेहतर बनाओ.

कल मिलते है एक और नई पोस्ट और नए दिन के साथ……….


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